Shri Sarswati Stotra - (श्री सरस्वती स्तोत्र)

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Shri Sarswati Stotra  - (श्री सरस्वती स्तोत्र)

श्री सरस्वती स्तोत्रं

 चन्द्रार्क-कोटिघटितोज्ज्वल-दिव्य-मूर्ते।
श्रीचन्द्रिकाकलित-निर्मल-शुभ्रवस्त्रे।
कामार्थदायि-कलहंस-समाधिरूढ़े।
वागीश्वरि प्रतिदिनं मम रक्ष देवि ।।1।।

देवा-सुरेन्द्र-नतमौलिमणि-प्ररोचीः।
श्रीमंजरी-निविड-रंजित-पादपद्मे।
नीलालके प्रमदहस्ति-समानयाने।
वागीश्वरि प्रतिदिनं मम रक्ष देवि ।।2।।

केयूरहार-मणिकुण्डल-मुद्रिकाद्यैः।
सर्वांगभूषण-नरेन्द्र-मुनींद्र-वंद्ये।
नानासुरत्न-वर-निर्मल-मौलियुक्ते।
वागीश्वरि प्रतिदिनं मम रक्ष देवि ।।3।।

मंजीरकोत्कनककंकण किंकिणीनां।
कांच्याश्च झंकृत-रवेण विराजमाने।
सद्धर्म-वारिनिधि-संतत-वर्द्धमाने।
वागीश्वरि प्रतिदिनं मम रक्ष देवि ।।4।।

कंकेलिपल्लव-विनिंदित-पाणियुग्मे।
पद्मासने दिवस-पद्मसमान-वक्त्रे।
जैनन्द्र-वक्त्र-भवदिव्य-समस्त-भाषे।
वागीश्वरि प्रतिदिनं मम रक्ष देवि ।।5।।

अर्द्धे दुमण्डितजटा ललितस्वरूपे।
शास्त्र-प्रकाशिनि-समस्त-कलाधिनाथे।
चिन्मुद्रिका-जपसराभय-पुस्तकाके।
वागीश्वरि प्रतिदिन मम रक्ष देवि ।।6।।

डिंडीरपिंड-हिम शंखसिता-भ्रहारे।
पूर्णेन्दु-बिम्बरूचि-शोभित-दिव्यगात्रे।
चांचल्यमान-मृग शावल लाट-नेत्रे।
वागीश्वरि प्रतिदिनं मम रक्ष देवि ।।7।।

पूज्ये पवित्रकरणोन्नत-कामरूपे।
नित्यं फणीन्द्र-गरूडाधिप-किन्निरेन्द्रैः।
विद्याधरेन्द्र-सुरयक्ष-समस्त-वृन्दैः।
वागीश्वरि प्रतिदिनं मम रक्ष देवि ।।8।।

।।इति श्री सरस्वती स्तोत्रम्।।

[Watch on YouTube](https://youtu.be/fOrFt2g9eDc)?si=es_tuduADyGa0Nvx

सरस्वती नाम स्तोत्र


सरस्वत्यां प्रसादेन, काव्यं कुर्वन्ति मानवाः।
तस्मान्निश्चल-भावेन, पूजनीया सरस्वती ।।1।।

श्री सर्वज्ञ मुखोत्पन्ना, भारती बहुभाषिणी।
अज्ञानतिमिरं हन्ति, विद्या-बहुविकासिनी ।।2।।

सरस्वती मया दृष्टा, दिव्या कमललोचना।
हंसस्कन्ध-समारूढ़ा, वीणा-पुस्तक-धारिणी ।।3।।

प्रथमं भारतीय नाम, द्वितीयं च सरस्वती।
तृतीयं शारदादेवी, चतुर्थ हंसगामिनी ।।4।।

पंचमं विदुषां माता, षष्ठं वागीश्वरी तथा।
कुमारी सप्तमं प्रोक्ता, अष्टमं ब्रह्मचारिणी ।।5।।

नवमंच जगन्माता, दशमं ब्राह्मिणी तथा।
एकादशं तु ब्रह्माणी, द्वादशं वरदा भवेत् ।।6।।

वाणी त्रयोदशं नाम, भाषा चैव चतुर्दशं।
पंचदंश श्रुतदेवी च, षोडशं गौर्निगद्यते ।।7।।

एतानि श्रुतनामानि, प्रातरूत्थाय यः पठेत्।
तस्य संतुष्यदि माता, शारदा वरदा भवेत् ।।8।।

सरस्वती नमस्तुभ्यं, वरदे कामरूपिणि।
 विद्यारंभं करिष्यामि, सिद्धिर्भवतु में सदा ।।9।।

।। इति श्री सरस्वती नाम स्तोत्रम्।।

[**Navgrah Shanti Stotra**](https://www.nonebutall.com/navgrah-shanti-stotra/)
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